बीजेपी की तीन धरोहर, अटल, आडवाणी, मुरली मनोहर। कभी बीजेपी के तीन दिग्गज नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी की तिकड़ी के लिए यह नारा लगता था। चुनावी राजनीति में यह तिकड़ी तभी टूट गई थी, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने 2009 में लखनऊ से चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था। अब आडवाणी का गांधीनगर से टिकट कटने के बाद जोशी को भी चुनावी राजनीति से बाहर करने की अटकलें हैं। ऐसा होता है तो यह पहला मौका होगा, जब बीजेपी अपनी धरोहर कहे जाने वाले इन तीनों नेताओं के बिना चुनाव में उतरेगी।
गांधीनगर से 6 बार लगातार सांसद चुने जा चुके आडवाणी की जगह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह चुनावी समर में उतरेंगे। सूत्रों के मुताबिक आडवाणी के बाद अब कानपुर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी को भी चुनावी रेस से बाहर किया जा सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक आरएसएस ने पार्टी में युवा नेतृत्व को उभारने के लिए यह कार्ययोजना तैयार की है।
मुरली मनोहर जोशी भी आडवाणी की ही तरह पार्टी के ‘मार्गदर्शक मंडल’ के सदस्य हैं। माना जा रहा है कि संघ परिवार ने जनप्रतिनिधि बनने के लिए 75 साल की उम्रसीमा निर्धारित की है। अब तक जारी की उम्मीदवारों की लिस्ट में उत्तराखंड के दो पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी (पौड़ी-गढ़वाल) और भगत सिंह कोश्यारी (नैनीताल-उधम सिंह नगर) भी चुनावी समर से हट गए हैं। पार्टी ने उत्तराखंड के अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत को खंडूरी की जगह उतारा है, जबकि कोश्यारी की सीट अजय भट्ट को दी गई है।
देवरिया से 2014 में सांसद चुने गए कलराज मिश्र की आयु भी 75 वर्ष से अधिक है और उन्होंने खुद ही चुनाव लड़ने से इनकार किया है। झारखंड के खूंटी से सांसग करिया मुंडा के भी टिकट कटने की अटकलें हैं। इसके अलावा मधुबनी से हुकुमदेव नारायण देव यादव की जगह उनके बेटे अशोक यादव को टिकट दिया गया है। इंदौर से लगातार सांसद बनती रहीं सुमित्रा महाजन और हिमाचल के पूर्व सीएम शांताकुमार को भी मैदान से बाहर करने की चर्चाएं हैं। आंध्र प्रदेश की सिकंदराबाद सीट से बंडारू दत्तात्रेय की जगह पार्टी ने किशन रेड्डी को उतारा है। बंडारू मोदी सरकार में श्रम मंत्री रहे हैं।